कोरोना वैक्सीन जल्द बनाने का दबाव डालने से बड़ा खतरा,

जेन ई ब्रॉडी. कोरोनावायरस की वैक्सीन को लेकर दुनियाभर मेंकई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि कोविड-19 की वैक्सीन मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत को खत्म कर देगी और वे पहले की तरह जिंदगी जी पाएंगे। दुनियाभर के वैज्ञानिक जल्द से जल्द वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। हालांकि, मेडिकल एक्सपर्ट्सइस जल्दबाजी को लेकर चिंतित भी हैं।

जल्दबाजी ठीक नहीं

एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि समय से पहले वैक्सीन रिलीज करना फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। 1955 में ओरिजिनल साल्क पोलियो की वैक्सीन को बनाने में जल्दबाजी दिखाई गई थी,लेकिनइससे कोई अच्छे परिणाम नहीं मिले। बड़े स्तर पर वैक्सीन के निर्माण में हुई गड़बड़ी के कारण 70 हजार बच्चे पोलियो की चपेट में आ गए थे।10 बच्चोंकी मौत हो गई थी।

राजनीतिक दबाव ठीक नहीं

  • एनवाययू लैंगोन मेडिकल सेंटर एंड बेलव्यू हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक रेसिडेंट डॉक्टर ब्रिट ट्रोजन के मुताबिक, कोरोनावायरस वैक्सीन के साथ भी ऐसी ही घटना लोगों के वैक्सीन के विकास को लेकर संदेह बढ़ा सकता है।इससे डॉक्टर्स के प्रति भरोसा भी कम हो सकता है।
  • ट्रोजन कहते हैं किहर कोई वैक्सीन को चांदी की गोली की तरह चाहता है, जो हमें इस संकट से बाहर निकालेगी, लेकिन साइंस के तैयार होने से पहले वैक्सीन रिलीज करने के राजनीतिक और लोगों के दवाब के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

वैक्सीन के असर की भी चिंता

  • एक्सपर्ट्स वैक्सीन के असरदार होने की उम्मीदों को लेकर भी चिंतित हैं। कोई भी वैक्सीन मरीज के 100%बीमारी को ठीकनहीं करती,जैसा फ्लू की वैक्सीन के साथ है कि जिन लोगों को वैक्सीन दी गई, उन्हें कुछ बीमारी हो सकती है।
  • वैक्सीन डेवलपमेंट मेंवर्ल्ड लीडर डॉक्टर पॉल ए ऑफिट के अनुसार, टेस्ट की जा रही वैक्सीन में से एक कई गंभीर संक्रमण के मामलों को रोकने में मदद कर सकती हैं। यहां तक कि गंभीर बीमारियों को रोकने में 50% असरदार वैक्सीन भी स्वीकार की जा सकती हैं।

कुछ लोगों पर टेस्टिंग काफी नहीं

  • यह जानना काफी नहीं है कि संदिग्ध लोगों में यह एंटीबॉडी रिस्पॉन्स पैदा करता है या सैकड़ों वॉलंटियर्स में इसका कोई दुष्प्रभाव नजर नहीं आता। जब तक वैक्सीन लाखों लोगों पर टेस्ट नहीं की जाती, डॉक्टर्स यह नहीं कह सकते कि या सुरक्षित और असरदार है।
  • सामान्य हालात में इस प्रोसेस को पूरा होने में कई साल लग जाते हैं। हालांकि यह हालात सामान्य नहीं है, इसलिए कोरोनावैक्सीन की टेस्टिंग महीनों तक आ गई। ऐसे में गलतियां होने का जोखिम ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के डायरेक्टर डॉक्टर फ्रांसिस कॉलिन्स बताते हैं कि लोगों को असरदार वैक्सीन देने की जल्दी में हम सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेंगे।




from Dainik Bhaskar

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