अमेरिका में रहने वाले विदेशी छात्र ट्रम्प प्रशासन के एक फैसले से प्रभावित होने जा रहे हैं। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि जिन स्टूडेंट्स की सभी क्लासेस ऑनलाइन शिफ्ट हो गईं हैं, उन्हें देश लौटना होगा। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के इस फैसले से कुल 10 लाख स्टूडेंट्स पर असर पड़ेगा। इनमें 2 लाख से ज्यादा भारतीय हैं। यहां सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स चीन से आते हैं। इसके बाद भारतीयों का नंबर है।ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन वाले स्टूडेंट्स के लिए एफ-1 और एम-1 कैटेगरी के वीजा जारी किए जाते हैं।
इमीग्रेशन डिपार्टमेंट का फैसला
यूएस इमीग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट ने यह फैसला लिया है। डिपार्टमेंट के मुताबिक, कोरोनावायरस के बाद पैदा हुए हालात की वजह से उसे यह कदम उठाना पड़ा है। डिपार्टमेंट ने बयान में कहा, “ऐसे स्टूडेंट्स जिनकी क्लासेस पूरी तरह ऑनलाइन हो गईं हैं। वो फिलहाल अमेरिका में नहीं रह सकेंगे। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।”
नए वीसा भी जारी नहीं होंगे
बयान में साफ किया गया है कि अमेरिकी विदेश विभाग उन छात्रों को अब नए वीसा जारी नहीं करेगा जिनकी सभी क्लासेस ऑनलाइन चल रही हैं। कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन परमिट भी इन स्टूडेंट्स के लिए जारी नहीं किया जाएगा। एफ-1 स्टूडेंट्स एकेडमिक कोर्स वर्क जबकि एम-1 वोकेशनल कोर्स वर्क वाली क्लासेस अटैंड करते हैं।
यूनिवर्सिटीज ने नहीं जारी किया प्लान
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महामारी की वजह से अब तक अमेरिकी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज ने सेमिस्टर प्लान जारी नहीं किया है। हालांकि, पढ़ाई के लिए वो अलग-अलग तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपनी सभी क्लासेस ऑनलाइन कर दी हैं। यूनिवर्सिटी ने एक बयान में कहा- 40% अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स को कैम्पस में आने की मंजूरी दी जाएगी। लेकिन, इसके लिए भी ऑनलाइन इंस्ट्रक्शन जारी की जाएंगी।
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कितने विदेशी छात्र
2018-19 के लिए अमेरिका में कुल 10 लाख विदेशी छात्रों ने वीसा लिए हैं। यह अमेरिका में हायर स्टडीज करने वालों का 5.5% है। 2018 में अमेरिका को विदेशी छात्रों से 44.7 करोड़ डॉलर की कमाई हुई थी। सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स चीन के हैं। इसके बाद भारत, साऊथ कोरिया, सऊदी अरब और कनाडा का नंबर है। 2018-19 में भारत से दो लाख से ज्यादा छात्र अमेरिका गए। चीन से 3 लाख 69 हजार 548 छात्र अमेरिका आए।
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