ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बने कोरोनावायरस वैक्सीन का ट्रायल जल्द ही भारत में शुरू होगा। लाइसेंस मिलने के बाद प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। ऑक्सफोर्ड के साथ वैक्सीन पर काम कर रही भारतीय फर्म ने यह जानकारी दी। लैंसेंट मेडिकल जरनल में प्रकाशित ट्रायल के रिजल्ट के मुताबिक, वैक्सीन AZD1222 के नतीजे काफी बेहतर रहे हैं। इसके कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिले और यह एंटीबॉडी और किलर टी-सेल्स भी बनाता है।
रिसर्चर्स का कहना है कि वैक्सीन के थोड़े-बहुत साइड इफेक्ट्स हैं, जिसे पैरासिटामोल खाकर खत्म किया जा सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के हेड अदर पूनावाला ने कहा कि हम वैक्सीन के रिजल्ट से खुश हैं। इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।
23 अप्रैल को इंसानों पर ट्रायल शुरू हुआ था
उन्होंने कहा कि हम ट्रायल के लिए लाइसेंस लेने के लिए एक हफ्ते के भीतर आवेदन करेंगे। मंजूरी मिलते ही हम वैक्सीन का ट्रायल शुरू करेंगे। हम बड़े स्तर पर वैक्सीन का मैन्युफैक्चरिंग करेंगे।ऑक्सफोर्ड का वैक्सीन 100 से ज्यादा देशों में बनाए जा रहे वैक्सीन में से एक है। 23 अप्रैल को इसका इंसानों पर ट्रायल शुरू किया गया था।
देश में पहले से ही COVAXIN क ट्रायल हो रहा
लैंसेट का रिव्यू तब आया है जब भारत पहले से ही देश में बने COVAXIN वैक्सीन का ट्रायल कर रहा है। एम्स-दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि रिसर्चर्स को डेटा के पहले सेट पर पहुंचने में लगभग तीन महीने का समय लगेगा।
वैक्सीन क्या है?
यह वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 सर्दी के एक वायरस (एडेनोवायरस) के कमजोर वर्जन का इस्तेमाल कर बनाई गई है। यह वायरस चिम्पांजी में होने वाला इंफेक्शन है। जेनेटिकली बदलाव कर इसे वैक्सीन के लायक बनाया है ताकि यह मनुष्यों में बढ़ न सकें।
रिसर्चर्स का दावा है कि उनका वैक्सीन शरीर को स्पाइक प्रोटीन को पहचानेगा और उसके खिलाफ इम्युन रीस्पॉन्सतैयार करेगा। इस प्रोटीन की पहचान वायरस की तस्वीरों में की गई है। यह कोविड-19 को ह्यमून सेल्स में जाने से रोकेगा और इस तरह संक्रमण से बचाव होगा।
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