लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार को हुए ब्लास्ट में मरने वालों की संख्या 157 हो गई है। बेरूत बंदरगाह के 16 कर्मचारियों को नियम तोड़ने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। मिलिट्री कोर्ट ने एक जांच कमेटी बनाई है। इससे मामले की जांच और भविष्य के लिए सुझाव देने को कहा गया है। कमेटी 4 दिन में शुरुआती रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। इस बीच, स्वीडन और फ्रांस ने लेबनान को घटना की जांच में मदद का भरोसा दिया है।
18 लोगों से पूछताछ
मंगलवार को हुए धमाके की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। 18 लोगों से पूछताछ की गई है। मिलिट्री कोर्ट के जज फादी अकीकी के आदेश पर 16 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। कोर्ट ने जांच कमेटी से 4 दिन में शुरुआती रिपोर्ट मांगी है। सरकार से पूछा गया है कि आखिर किसकी लापरवाही से 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट पोर्ट पर 7 साल तक कंटेनर्स में रखा रहा। पोर्ट मिनिस्ट्री से पूछा गया है कि क्या इसके लिए मंजूरी ली गई थी। इसका इस्तेमाल कहां किया जाना था।
सरकार दोहरी मुश्किल में
ब्लास्ट के बाद लेबनान सरकार मुश्किल में आ गई है। राजधानी बेरूत समेत देश के कई हिस्सों में उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। गुस्साए लोगों का आरोप है कि सरकार की नाकामी और लापरवाही की वजह से बेरूत पोर्ट पर ब्लास्ट हुआ। लिहाजा, पूरे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना चाहिए। कुछ शहरों में प्रदर्शनकारियों ने दुकानों को आग लगा दी। सरकार ज्यादा बल प्रयोग से बचना चाहती है क्योंकि इससे हिंसा और भड़क सकती है।
फ्रांस और स्वीडन मदद करेंगे
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेबनान सरकार को जांच में मदद की पेशकश की है। स्वीडन ने भी ऐसा ही किया। माना जा रहा है कि दोनों देशों के एक्सपर्ट जल्द ही बेरूत पहुंचेंगे। मैक्रों ने मदद की पेशकश के साथ लेबनान सरकार को नसीहत भी दी। कहा- लेबनान में हालात जल्द सुधारने की जरूरत है। लेकिन, ये तब तक नहीं हो सकता, जब तक यहां की सरकार और नेता सुधारों के लिए गंभीर रवैया नहीं अपनाते।
मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा
जैसी आशंका जताई जा रही थी, वैसा ही हुआ। मंगलवार को हुए धमाके में मरने वालों का आंकड़ा गुरुवार देर रात 157 हो गया। पांच हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। हालात इतने खराब हैं कि पोर्ट के नजदीक की इमारतों का मलबा अब तक नहीं हटाया जा सका है। माना जा रहा है कि मलबे से कुछ और शव बरामद हो सकते हैं। मलबे से धुआं उठता देखा जा सकता है।
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