बेलारूस में 65 वर्षीय राष्ट्रपति लुकाशेंको छठी बार राष्ट्रपति चुनाव जीत गए। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार स्वेतलाना तिखानोव्सना को हरा दिया। राष्ट्रपति जब 1994 में पहली बार चुनाव में जीत कर सत्ता में आए तो स्वेतलाना 9 साल की थीं। अब 37 साल की स्वेतलाना ने लुकाशेंको की सत्ता को चुनौती दी।
नतीजों के बाद मीडिया से चर्चा में कहा कि लोगों का सड़कों पर उतरकर विरोध जताना, स्पष्ट संदेश है कि चुनाव में धांधली हुई है। मेरी रैलियों में उमड़ी भीड़ से तय था कि लोग बदलाव चाहते हैं। पर ऐसा होने नहीं दिया गया। स्वेतलना ने कहा कि भले ही चुनाव हार गई हूं, पर हिम्मत नहीं। तानाशाही के खिलाफ मेरा संघर्ष जारी रहेगा।
पति जेल में बंद हैं
स्वेतलाना ने जेल में बंद अपने पति के स्थान पर यह चुनाव लड़ा। उन्होंने विपक्ष की कई बड़ी रैलियों का नेतृत्व किया। इन रैलियों में ऐतिहासिक भीड़ उमड़ी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। विपक्ष ने पहले ही कहा था कि उसे वोटिंग में धांधली की आशंका है। स्वेतलाना एक शिक्षिका रह चुकी हैं।
वह सक्रिय राजनीति में आने से पहले होममेकर की तरह बच्चे को समय दे रही थीं। पति के गिरफ्तार होने और वोट के लिए पंजीकरण पर रोक के बाद, स्वेतलाना ने राजनीति में कदम रखा। वह शुरू से ही कहती रही हैं कि देश में निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं। हमारे राष्ट्रपति को यह समझना होगा कि उनका समय खत्म हो गया है और अब उन्हें लोग पसंद नहीं करते हैं।
एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद से ही हिंसा शुरू हो गई थी
इससे पहले एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई। बाकी शहरों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं। मिंस्क पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुन्न कर देने वाले हथगोलों का इस्तेमाल किया। इस कार्रवाई में कई लोग जख्मी हो गए। यह कहा जा रहा है कि रविवार के एग्जिट पोल के बाद, बेलारूस में विपक्ष की बीते कुछ साल की सबसे बड़ी रैली देखने को मिली।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3itNyoM
https://ift.tt/3itNzJm
0 Comments