लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार शाम जो धमाका हुआ, उसकी वजह लापरवाही थी। जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि अमोनियम नाइट्रेट से भरे कार्गो पिछले कई सालों से समुद्र किनारे रखे हुए थे, लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। कई बार अधिकारियों को चेतावनी देने के बाद भी इन्हें नहीं हटाया गया।
मोजाम्बिक के लिए निकला था जहाज
अमेरिकी मीडिया हाउस सीएनएन की खबर के मुताबिक 2013 में एक रूसी जहाज जॉर्जिया के बटूमी से 2750 मीट्रिक टन अमोनियम नाइट्रेट लेकर मोजाम्बिक के लिए निकला था। जहाज का नाम एमवी रोसस था। इसका मालिक एक रूसी बिजनेसमैन था। यह जहाज ग्रीस में फ्यूल भरवाने के लिए रुका। यहां जहाज के मालिक ने बताया कि पैसे खत्म हो गए हैं और उन्हें लागत कवर करने के लिए एक्स्ट्रा कार्गो लोड करने होंगे। इस वजह से उन्हें बेरूत का चक्कर लगाना पड़ा और जहाज बेरूत पहुंच गया।
अधिकारियों ने चेताया था- जहाज एक तैरता बम
बेरूत पहुंचने के बाद जहाज को सरकार ने कब्जे में ले लिया। जहाज मालिक पर नियमों की अनदेखी करने और पोर्ट का बकाया नहीं चुकाने के आरोप लगे। लेबनान के कस्टम डिपार्टमेंट के डायरेक्टर बदरी दहेर ने बताया कि कई बार चेतावनी दी गई कि यह जहाज एक तैरता बम है। 2014 में इस जहाज से अमोनियम नाइट्रेट के कंटेनरों को उतारकर पोर्ट के स्टोर रूम में रख दिया गया। तब से कंटेनर वहीं पड़े थे। अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल ज्यादातर फर्टिलाइजर के तौर पर और माइनिंग के लिए ब्लास्ट करने के लिए होता है।
बेरूत के गवर्नर कहा- 10 से 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ
विस्फोट में मरने वालों की संख्या 135 पहुंच गई है। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 5000 लोग घायल हैं और कई लापता हैं। बेरूत के गर्वनर मारवन अबोद ने कहा कि पोर्ट में हुए विस्फोट में करीब 10 से 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। इससे पहले अधिकारियों ने 3 से 5 अरब डॉलर के नुकसान का आकलन किया था।
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