सुरक्षा परिषद में ओपन डिबेट के दौरान भारत ने शुक्रवार को कहा कि हमारा देश सीमा पार से होने वाले आतंकवाद से पीड़ित रहा है। हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध और आतंकवाद के सबसे बुरे रूप का अनुभव किया है।
एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने एक बार फिर यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश की थी। इस पर सुरक्षा परिषद ने कहा था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का आपसी मुद्दा है। इसे दोनों देश मिलकर सुलझाएं। सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों में से चार अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस भारत के पक्ष में रहे। चीन ने पहले की तरह पाकिस्तान का समर्थन किया था।
उधर, शुक्रवार को भारत ने कहा- हमारे देश में 1993 में हुए मुंबई हमले के दोषी को पड़ोसी देश में संरक्षण मिलता है। यह देश संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों और आतंकी संगठनों को संरक्षण देने के साथ-साथ हथियारों और ड्रग के तस्करी का केंद्र है।
एफएटीएफ के साथ मिलकर काम करने की जरूरत
आतंक पर लगाम लगाने को लेकर भारत ने कहा- संयुक्त राष्ट्र को वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जैसे निकायों के साथ अपने समन्वय को बढ़ाने की जरूरत है। ऐसी संस्थाएं मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी की फंडिंग रोकने और इससे मुकाबला करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
आतंकवाद से कोई देश या क्षेत्र नहीं बच सकता
भारत ने कहा- आतंकवाद आज मानव जाति के लिए सबसे गंभीर खतरा है। इससे कोई देश और क्षेत्र बच नहीं सकता है। भारत आतंकवाद के हर रूप की कड़ी निंदा करता है। आतंकवाद के किसी भी रूप का कोई अर्थ नहीं हो सकता है। इसके मूल कारणों की तलाश भूसे के ढेर में एक सुई खोजने के जैसा है।
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