पाकिस्तान की कैद में मौजूद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान ने दिखावे के लिए नया पैंतरा आजमाया। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को जाधव का पक्ष रखने के लिए तीन वकीलों को नियुक्त किया। साथ ही अटॉर्नी जनरल से कहा कि वो कुलभूषण के बचाव के लिए वकील रखने के बारे में भारत से संपर्क करें। इसी दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जाधव की सेहत के बारे में फिक्र करने की जरूरत नहीं है, वो बिल्कुल ठीक है।
बयानबाजी से बचें
सोमवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में जाधव मामले की सुनवाई हुई। जस्टिस अतहर मिन्लाह और जस्टिस मिंगुल हसन औरंगजेब ने अटॉर्नी जनरल से कहा- हम जाधव के लिए तीन वकीलों को नियुक्त कर रहे हैं। ये तीनों उसके बचाव में दलीलें पेश करेंगे। लेकिन, आपको स्थायी वकील नियुक्त करने के बारे में भारत सरकार से संपर्क करना होगा। जाधव के बारे में बयानबाजी का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। बेंच ने कहा- निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिए। लिहाजा गैरजरूरी बयानों से बचा जाना चाहिए। हालांकि, बेंच ने यह साफ नहीं किया कि वो किस तरह की बयानबाजी से नाराज है।
ये तीन वकील नियुक्त
बेंच ने कहा- आबिद हसन मंटो, हामिद खान और मखदूम अली खान को हम एमिकस क्यूरी के तौर पर नियुक्त कर रहे हैं। ये इसलिए भी जरूरी है कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का फैसला सही और पूरे तरीके से लागू किया जा सके। पाकिस्तान सरकार हाईकोर्ट को आईसीजे के दस्तावेज सौंप चुकी है। अब हाईकोर्ट की जिम्मेदारी है कि वो इस मामले को समय रहते और निष्पक्ष तरीके से देखे। जाधव के लिए वकीलों की जरूरत है। लिहाजा, यह बेंच फौरी तौर पर उसे उसका हक मुहैया करा रही है।
जाधव का ध्यान रख रहे हैं
बेंच के सवालों के जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा- जाधव ने अपने ऊपर लगे तमाम आरोप कबूल किए हैं। उसे जासूसी और आतंकवाद फैलाने का दोषी पाया गया और सजा सुनाई गई। लेकिन, इसके बावजूद हम निष्पक्ष सुनवाई करना चाहते हैं। जहां तक उसकी सेहत का सवाल है तो मैं हाईकोर्ट को बताना चाहता हूं कि हम उसकी हर तरह से ध्यान रख रहे हैं। उसकी सेहत बिल्कुल ठीक है।
वकील नियुक्त करना नई चाल
पाकिस्तान सरकार इस्लामाबाद हाईकोर्ट की आढ़ लेकर दुनिया को यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि जाधव के मामले की निष्पक्ष सुनवाई हो रही है। जिन तीन वकीलों को नियुक्त किया गया है वे वक्त-वक्त पर और अलग-अलग मामलों में सरकार के लिए पेश होते रहे हैं।
दरअसल, पाकिस्तान सरकार चाहती है कि भारत किसी तरह जाधव के लिए वकील नियुक्त करने पर तैयार हो जाए। इसके जरिए वो ये साबित करना चाहेगा कि उसने जाधव मामले की सुनवाई में भारत को भी शामिल किया। विपक्ष इमरान सरकार पर जाधव को राहत देने का आरोप लगा रहा है। सरकार हाईकोर्ट में मामला ले जाकर इसे कानूनी मसला बताकर वक्त निकालना चाहती है। यही वजह है कि भारत ने अब तक इस पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है। भारत इसे पूरी तरह आईसीजे के हवाले ही रखना चाहता है।
कुलभूषण को 2017 में हुई थी फांसी की सजा
कुलभूषण को मार्च 2016 में पाकिस्तान ने गिरफ्तार किया था। 2017 में उन्हें फांसी की सजा दे दी। इस बीच सुनवाई में कुलभूषण को अपना पक्ष रखने के लिए कोई काउंसलर भी नहीं दिया गया। इसके खिलाफ भारत ने 2017 में ही अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
आईसीजे ने जुलाई 2019 में पाकिस्तान को जाधव को फांसी न देने और सजा पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया। तब से अब तक पाकिस्तान ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।
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