सीमा विवाद को लेकर चीन के साथ जारी तनाव के बीच श्रीलंका से भारत के लिए अच्छी खबर आई। श्रीलंका ने कहा है कि वो अपनी नई विदेश नीति के तौर पर 'इंडिया फर्स्ट' अप्रोच ही अपनाएगा। श्रीलंका के विदेश सचिव जयनाथ कोलंबेज ने कहा- श्रीलंका में चीन की बढ़ती मौजूदगी हमारे लिए चिंता का विषय है।
राष्ट्रपति राजपक्षे भी 'इंडिया फर्स्ट' के पक्ष में
श्रीलंकाई अखबार डेली मिरर को दिए इंटरव्यू में कोलंबेज ने इशारा दिया कि उनकी सरकार चीन के दबाव में नहीं आएगी। कोलंबेज ने कहा- श्रीलंका अपने क्षेत्रीय विदेश संबंधों को लेकर इंडिया फर्स्ट की नीति अपनाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि श्रीलंका ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा, जो भारत के सुरक्षा हितों के खिलाफ हों। राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे का भी यही मानना है। कोलंबेज 2014-16 के बीच श्रीलंका नेवी के चीफ रहे। इसके बाद विदेश नीति समीक्षक बने। कोलंबेज देश के पहले ऐसे विदेश सचिव हैं, जिनका सेना से सीधा संबंध रहा है।
पोर्ट में निवेश के लिए भारत ही पहली पसंद था
उन्होंने कहा- चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत को छठवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाता है। 2018 में भारत दुनिया की सबसे तेज उभरती हुई अर्थव्यवस्था था। इसका मतलब है कि हम दो इकोनॉमिक जाइंट्स (आर्थिक महाशक्तियां) के बीच हैं।
उन्होंने कहा - श्रीलंका ये कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा कि कोई देश अपने फायदे के लिए भारत जैसे किसी दूसरे देश के खिलाफ हमारा इस्तेमाल करे। हम्बनटोटा के दक्षिणी पोर्ट में चीनी निवेश पर टिप्पणी करते हुए कोलंबेज ने कहा- हमने पहला ऑफर भारत को ही दिया था। हालात के चलते भारत तब इसे नहीं ले पाया था। बाद में यह चीनी कंपनी के पास चला गया।
2017 में 99 साल की लीज पर चीन को सौंपा था पोर्ट
हम्बनटोटा पर आगे क्या होगा? इस पर कोलंबेज ने कहा- हम्बनटोटा की 85% हिस्सेदारी चीनी मर्चेंट होल्डिंग कंपनी के पास है। लेकिन, इसका इस्तेमाल सिर्फ कमर्शियल एक्टिविटीज के लिए ही किया जा सकता है, सैन्य उपयोग नहीं होगा।
2017 में श्रीलंका ने हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया था। इसको लेकर भारत को चिंताएं थीं। भारत ने कहा था कि चीन यहां मिलिट्री बेस बना सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3aY98PF
https://ift.tt/2Qrnb6Z
0 Comments