ब्रिटिश उच्चायुक्त सर फिलिप बार्टन ने गुरुवार को कहा कि ब्रिटेन सरकार भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए समय-सीमा निर्धारित नहीं कर सकती है। हालांकि यह सुनिश्चित करती है कि अपराधी देश की सीमाओं को पार कर सजा से बच नहीं सकते।
एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग के दौरान सवाल पूछे जाने पर कि क्या माल्या ने ब्रिटेन में शरण मांगी है? इस पर बार्टन ने कहा कि उनकी सरकार ऐसे मुद्दों पर कभी टिप्पणी नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार और कोर्ट (जो सरकार से स्वतंत्र हैं) अपनी भूमिका को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं। वे दूसरे देश भागने से रोकने की अपनी भूमिका को लेकर वाकिफ हैं। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि अपराधी राष्ट्रीय सीमाएं पार कर न्याय प्रक्रिया से नहीं बच सकें।
भारत के लिए यह मामला बेहद अहम
उच्चायुक्त ने कहा कि माल्या का प्रत्यर्पण एक जारी कानूनी मामला है। ब्रिटेन की सरकार के पास इस पर कुछ नया नहीं है। सरकार इससे वाकिफ है कि यह मामला भारत के लिए कितना अहम है।
पिछले महीने भारत ने कहा था कि उसने ब्रिटेन से आग्रह किया है कि वह माल्या के शरण मांगने के किसी भी अनुरोध पर विचार न करे। क्योंकि, देश में उसे प्रताड़ित किए जाने के लिए कोई आधार नहीं है। इससे पहले, ब्रिटेन सरकार ने संकेत दिया कि माल्या को भारत में जल्द प्रत्यर्पित किए जाने की संभावना कम है। साथ ही कहा था कि यह एक कानूनी मुद्दा है, जिसे उसके प्रत्यर्पण से पहले हल करने की जरूरत है।
9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप
माल्या पर भारतीय बैंकों से 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। वह मार्च 2016 में लंदन भाग गया था। प्रत्यर्पण वारंट पर अप्रैल 2017 में माल्या की लंदन में गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन जमानत पर छूट गया।
माल्या केस के प्रमुख अपडेट
- 2 मार्च 2016 को विजय माल्या भारत छोड़कर लंदन पहुंचा।
- 21 फरवरी 2017 को गृह सचिव ने माल्या के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन में अर्जी दी।
- 18 अप्रैल, 2017 को विजय माल्या को लंदन में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, उसी दिन माल्या को जमानत भी मिल गई।
- 24 अप्रैल 2017 को माल्या का भारतीय पासपोर्ट निरस्त कर दिया गया।
- 2 मई 2017 को उसने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया।
- 13 जून 2017 वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस मैनेजमेंट और प्रत्यर्पण की सुनवाई शुरू हुई।
- 10 दिसंबर 2018 को वेस्टमिंस्टर कोर्ट की मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुथनोट ने प्रत्यर्पण दी और फाइल गृह सचिव को भेज दी।
- 3 फरवरी 2019 को गृह सचिव ने माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया।
- 5 अप्रैल 2019 को इंग्लैंड और वेल्स के हाईकोर्ट के न्यायाधीश डेविड ने अपील करने के लिए कागजात पर अनुमति देने से इनकार कर दिया।
- 2 जुलाई, 2019 को एक मौखिक सुनवाई में जस्टिस लेगट और जस्टिस पॉपप्वेल ने माल्या को अपील दाखिल करने की अनुमति दी।
- 20 अप्रैल 2020 को माल्या की अपील खारिज। प्रत्यपर्ण के अंतिम निर्णय के लिए मामला ब्रिटेन की गृह सचिव के पास भेजा गया।
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from Dainik Bhaskar
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